अनूपपुर

मुझको जालिम का तरफदार नहीं लिख सकतेःकम से कम वह मुझे गद्दार नहीं लिख सकते,

जान हथेली पे लिए बोल रहा हूं जो सच है उसको इस देश के अखबार नहीं लिख सकते

भोपाल। जी हाँ हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग की जो सरकार के प्रयास और पत्रकारों की आस पर कुठाराघात करने पर आतुर नजर आ रहा है एक ओर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान सरकार और अपनी छवि बचाने के लिए दिन-रात प्रदेश की गलियों की खाक छानते हुए प्रजातंत्र के चैथे स्तंभ को किसी न किसी तरह से साधने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर विभाग के मुखिया वक्त है बदलाव का के नारे के तहत सरकार को निपटाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
वरना क्या कारण है

मुख्यमंत्री द्वारा खुद आगे बढ़ कर प्रदेश के पत्रकारों के हित में दो महत्वपूर्ण घोषणाएं कर उन पर अमल करना शुरू किया गया, किंतु विभाग के मुखियाओं की हीलाहवाली या सोची समझी साजिश के कारण पत्रकार जगत विज्ञापन शुरू होने और बीमा की राशि सरकार द्वारा जमा करने की घोषणा के बाद भी संतुष्ट नहीं हो पाए और जहां जिसे मौका मिल रहा है लगातार सरकार के विरुद्ध वातावरण बनाकर उसे निपटाने में लगे हुए है और जिन्हें इस भ्रष्टाचार को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई है वह या तो माल बटोरने या फिर अपनी रोटियाँ सेकने और गोंटिया सेट करने में लगे हुए है। बात आगे बढ़ाने से पहले विभाग के दोनों मुखियाओ और उनकी पृष्ठभूमि या किरदारों पर नजर डाली जाए तो बेहतर होगा।
नहीं हो रहा दो धाराओं का मिलन
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने अपनी चौथी पारी की शुरुआत करते हुए शायद यह प्रयोग किया था कि दो अलग-अलग धाराओं आईएएस और आईपीएस यानी गंगा और जमुना को मिलाकर इन दोनों के संगम से उपजी सरस्वती की तरह एक नई नदी रूपी लहर बनाकर चुनावी वैतरणी पार कर लेंगे, लेकिन उनका यह प्रयोग अब उनके गले की फांस बनता जा रहा है और सब कुछ तो नहीं बहुत कुछ करने के बाद भी सरकार व उसके प्रयासों की जिस तरह से किरकिरी हो रही है यानी समाचार पत्रों, न्यूज चैनल हो या सोशल मीडिया व्हाट्शाअप, फेसबुक ट्वीटर व अन्य प्लेटफार्म पर जितनी भड़ास सरकार के खिलाफ निकाली जा रही है वो सबको तो नजर आ रहा है किंतु जनसंपर्क के जिम्मेदार अधिकारियों का इस ओर से आंखें मुदें बैठना कई तरह के संदेश और सवाल पैदा कर रहा है।
मलाई का दोना छीना है तो कटोरा तो पकड़ायेंगे
जहां तक आयुक्त जनसंपर्क (अतिरिक्त प्रभार) आईएएस सुदाम खाड़े का सवाल है तो यह बात साफ है कि पिछली सरकार में 6 मलाईदार विभागों लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के संचालक, मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश इंटरस्टेट ट्रांसपोर्ट अथारिटी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध संचालक और लोक निर्माण विभाग के अपर सचिव जेसे महत्वपूर्ण विभाग में मलाइदार पदों पर तैनात थे सरकार बदलते ही मुख्यमंत्री ने एक झटके में मलाई का कटोरा छीन कर उनके हाथ में जनसंपर्क विभाग के माध्यम का प्रबंध संचालक और आयुक्त जनसंपर्क का (अतिरिक्त प्रभार) देकर यानि यह कहे कि मलाई का कटोरा छीन कर छाँज का दोंना थमा दिया है तो वह भी पत्रकारों को राहत रूपी कटोरा थमा रहे है। समय बलवान होता है नारे के तहत वल्लभ भवन के गलियारों में अपनी जुगाड़ कहीं और लगाने में लगे दिखाई नजर आते हैं।
दूसरी ओर संचालक जनसंपर्क के पद पर दूसरी बार बिराजमान हूऐ आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह भी लगभग 6 महीने गुजरने के बाद भी ना तो मीडिया की नब्ज पकड़ पाए है और ना ही विभाग पर किसी तरह का अंकुश लगा पाए हैं जिसका नतीजा था कि पिछले दोनों बिलों का भुगतान और विज्ञापन नहीं मिलने के साथ-साथ आर्थिक संकट से जूझते हुए दो पत्रकारो का काल के गाल में अचानक समा जाना बल्कि यह कहा जाए कि वर्तमान सरकार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के प्रयासों के बाद भी 15 अगस्त 2020 के विज्ञापन को लेकर जिस तरह बंदरबांट हुई और लाखों रुपए की दलाली खाई गई वे जगजाहिर है। सभी तरह की कागजी व जायज कार्यवाही करने के बाद भी आज तक लगभग 1500 समाचार पत्रों को विज्ञापन नहीं मिला वही लगभग इससे ज्यादा कागजी समाचार पत्रों को माल लेकर निचले अधिकारियों ने बिना कोरम पूरा किए विज्ञापन जारी कर दिए है जिसकी जाचँ होना आवश्यक है।
एक और घोटाले की पृष्ठभूमि हो रही तैयार
जनसंपर्क विभाग में कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और दलालों का चोली दामन का साथ है जिसे संचालक चैहान इतना समय गुजारने और विभाग का सर्वेसर्वा होने के बावजूद भी अब तक समझ नहीं पाए है तो वह आगे क्या कदम उठा पाएंगे। यह बात अपने आप में सवाल के साथ जवाब भी है।
खबर है कि जिन वास्तविक पत्रकारों को अगस्त 2020 का विज्ञापन किन्ही कारणों से नहीं मिल पाया था। उन्हें जनसंपर्क विभाग सितंबर माह में विज्ञापन जारी करेगा, सरकार का प्रयास तो अच्छा था कम से कम रोते हुए बाकी बचे पत्रकारों के आंसू तो पुछँ जाते लेकिन यहां भी विभाग के भृष्ट अधिकारी और दलाल मिलकर बाजी मार ले गए और वास्तविक लोग तो अभी आवेदन लगा भी नही पाए हैं जबकि दलालों के द्वारा अधिकारियों से मिलकर लगभग 2000 आवेदन जमा हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री को पत्र थमा एक और खूँटा ठोका
विगत दिनो कुछ पत्रकारो ने मिन्टोहाल में चलते चलते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को छोटे और लघु समाचार पत्रों के नाम जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन सूची में शामिल कुछ समाचार पत्रों को अधिकारियों द्वारा भरपूर विज्ञापन नहीं देने की शिकायत करते हुए विज्ञापन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक और खूंटा ठोक दिया।
हमारी यह समझ में नहीं आया कि जनसंपर्क विभाग में कुछ लगभग 600 समाचार पत्र-पत्रिकाओं की नियमित विज्ञापन सूची किस आधार पर और किसके द्वारा बनाई गई इस सूची में शामिल वह कौन कौन से अखबार या पत्रिकाएं हैं जिनके नाम सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर भी विभाग नहीं देता है और उनको विभाग की पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए बिना आवेदन लाखों रुपए का विज्ञापन जारी होते रहते हैं साथ ही इन समाचार पत्र पत्रिकाओ में ऐसी कौन सी खबरें यह फोटो छपते हैं जिससे जनता में हा हा कार मच जाता है और सरकार गिरने तक की नौबत आ जाती है।
ज्ञात हो कि पिछली सरकार ने इस सूची पर रोक लगा कर इस तरह की सूची में शामिल समाचार पत्र पत्रिकाओं से समाचार पत्र कहां छ्पता हैं, कितना छ्पता है, कहां बंटता है, कागज व स्याही कहां से लाते हैं सहित आठ से अधिक बिंदुओं की जांच रिपोर्ट मध्य प्रदेश के सभी जिला कलेक्टरों से मांगी थी ताकि रिपोर्ट मिलने के बाद प्रिंटिंग प्रेस पर छपाई की भी जांच की जाए जनसंपर्क विभाग के आदेश से सूची वाले इन अखबारों में हा हा कार मच गया था और विभाग व अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए जनसंपर्क विभाग के सामने धरना प्रदर्शन तक किया गया था, लेकिन पिछली सरकार अपनी कार्यवाही पर अड़ी रही कि जब तक जांच पूरी नहीं होती और उसमें सभी तरह की आहर्ताएँ पूरी नहीं होती इन समाचार पत्रों को विज्ञापन जारी नहीं होंगे। लेकिन पता नहीं सरकार बदलते ही यह सूची फिर कैसे बाहल हो गई व किसने बहाल कर दी जो उन्हें बिना मांगे विज्ञापन मिलने लगे।
सूत्रों ने दावा किया है कि गुपचुप तरीके से बिना जांच-पड़ताल के बाहल हुई इस सूची में लाखों रुपए का लेनदेन हुआ था। वर्तमान संचालक को इसकी जाचँ करना चाहिए।
बहरहाल इस विज्ञापन सूची के संस्पेशन और बहाली के इस चक्कर में सूची के बाहर उन हजारों छोटे, मझौले, साप्ताहिक, मासिक और पाक्षिक अखबारों को जरूर नुकसान उठाना पड़ा था और उन्हें कोई विज्ञापन नहीं मिल पाया था जिनको विज्ञापन दिलाने के नाम पर वह आंदोलन किया गया था और जो अपने हक के लिए अब फिर एक बड़े आंदोलन की रूपरेखा बनाने में जुट गए हैं और नारा बुलंन्द कर रहे है कि–
हम हैं हकदार बराबर के बराबर लेंगे, भाई मजबूर न कर घर में बगावत के लिए

हमने खुद कर लिया है नेजे पर बुलंद अपना सर,
शर्त लाजिम थी यही सच की हिफाजत के लिए उक्ताशय के विचार इंडियन फेडरेशन वर्किंग जनर्लिस्ट के मध्य प्रदेश यूनिट के प्रदेश अध्यक्ष
सलमान खान ने व्यक्त किये।

Related Articles

Back to top button