आर्टिकल

सत्ता का सोफा

डॉ.राकेश रंजन

शरमाइन को दहेज में मिले सोफे का जोड़ इतना मजबूत है कि वो मिसराइन से लेकर उसके बेटे और बेटी से होते हुए बंगालन के घर तक साथ निभाता चला आया। घर बदलने के साथ अगर कुछ बदला तो बस केवल उसका अस्तर। मिसराइन के कलेक्टर लड़के ने रेग्जीन का तो कलेक्टर की लव मैरिज करने वाली बिटिया ने बंगाली किर्मिक अस्तर चढ़ाया। शरमाइन की तरह एक सोफा मध्यप्रदेश में कमलनाथ को भी मिला है। गठबंधन के जुगाड़ू जोड़ से बना सत्ता का सोफा। लेकिन कहां शरमाइन के सोफे में लगा फेवीकोल का मजबूत जोड़ और कहां गठबंधन का जुगाड़ू जोड़। नतीजतन इस सोफे के अस्तर को बदलने की खींचतान चलती रहती है। सत्ता का सोफा ठहरा वन सीटर, सो इसमें शरमाइन के टू सीटर की तरह दो लोगों के बैठने की गुंजाइश थी नहीं। लिहाजा मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद सोफा रूढ़ होने के लिए सिंधिया और कमलनाथ के बीच जोर आजमाइश शुरु हुई। मामला दिल्ली दरबार पहुंचा और सोफा कमलनाथ के नाम हुआ। तब के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोफा सुपुर्दगी के मौके पर दोनों दावेदारों के साथ मुस्कराती तस्वीर साझा की। कैप्सन भी शानदार लगाया- ‘समय और धैर्य सबसे बड़े योद्धा हैं’। इस बीच लोकसभा चुनाव हुए और नतीजे इतने हाहाकारी निकले कि समय और धैर्य को सबसे बड़ा योद्धा बताने वाले ही खुद मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए। इधर गुजरते ‘समय’ के साथ सिंधिया का ‘धैर्य’ कब तक साथ निभाता? सिंधिया ने सत्ता की क्षतिपूर्ति के तौर पर संगठन के सोफे पर दावेदारी जताई। लेकिन आलाकमान ने मुख्यमंत्री पद की भरपाई मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से करने की बजाए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बना कर की। ‘सोफा’ की बजाए ‘कुर्सी’ दिया जाना सिंधिया समर्थकों को रास नहीं आया। और तब से सिंधिया समर्थकों के पाले से उठती असंतोष की हिलोर जब-तब पार्टी के अनुशासन को बिलोर रही है। सिंधिया समर्थक मंत्री कभी अवैध उत्खनन रोक पाने में सरकार की नाकामी की आड़ लगाकर तो कभी दिग्गी राजा की सरकारी कामकाज में दखलंदाजी पर आपत्ति जताकर पार्टी को अपने श्रीमंत के सोफा विहीनता की याद दिलाते रहते हैं। खुद सिंधिया केंद्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व से सोफा का तगादा करने का मौका नहीं गंवाते हैं। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के फैसले को सही ठहराने के बाद अब उन्होंने पार्टी की दुर्दशा के लिए केंद्रीय नेतृत्व को आत्मावलोकन की सलाह देकर आइना दिखाया है। तो वहीं मध्यप्रदेश के बाढ़ प्रभावितों के मुआवजे और किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठाकर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल सोफाच्युत सिंधिया आलाकमान को आगाह करते रहते हैं कि अगर उनके लिए सोफे की व्यवस्था नहीं की गई तो उनके पास भाजपा से किराए का सोफा लेने का विकल्प खुला है।

Related Articles

Back to top button