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कोरोना का वैश्विक ताण्डव

कविता- श्रवण कुमार मानिकपुरी

छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
बहर से जो आए विदेशी उनके संग आया है,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
बहर जो तुम हो जाओ, मुंह में मास्क लगाना है,
सबसे दूरी रखके, देखे, बचके तुमको चलतना है,
छुआ-छूत का रोग का रोग कोरोना, घर-घर आया है।
रखो साथ में सेनीटाइजर और पेपर शोप,
जब भी किसी के हाथ लगाओं धोओ अपने हाथ,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
गर बहोत जरूरी ना हो तो बाहर, कोई न जाना,
चटनी-रोटी, नमक भात तुम भले घर से खाना।।
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
देखो, आज दुनिया का हाल बेहाल है,ऐसे में
किसका कौन? कैसे रखे ख्याल, ये सबको समझना है,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
कहते थे भगवान कहाॅं है?
देखो, डाॅक्टर,नर्सो और सफाई कर्मियों को?
अपना तन और खाना-पीना, सोना सबकुछ भूल गए,
देष सेवा में जान लगाए, अपना पराया भूल गए
हाथ जोड़कर तुमहें नमन है।।
अपना कर्तव्य निभाओं तुम,
आज विष्व में देखो, कैसा ताण्डव छाया है,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
नमन है उन सभी मंत्री, संतरी और प्रशासन को,
जिसने समय रहते सजग किया और अपना कर्तव्य निभाया है,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
बख्सो मत गद्दारों को, देश को अगर बचाना है,
आज विष्व में देखो कैसा ताण्डव छाया है,
छुआछूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।
वक्त अभी है अपने पास, इस ताण्डव से बचने का,
मौज करो तुम घर में अपने, पर करो उपाय बचने का,
क्योंकि विष्व में ताण्डव छाया है।
छुआ-छूत का रोग कोरोना घर-घर आया है,
छुआ-छूत का रोग कोरोना घर-घर आया है।

श्रवण कुमार मानिकपुरी
            शोद्यार्थी
शा.शिक्षक, शिक्षा महाविद्यालय रीवा
(प्रधानाध्यापक शा.बा.उ.मा. विद्यालय
राजनगर,जिला-अनूपपुर म.प्र.)

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