संतोष चौरसिया
*लाखों खर्च करने के बाद भी बरतराई कालरी का कैंटीन बंद*
*श्रम वीर परेशान*
*कैंटीन शुरू करो नहीं तो होगा आंदोलन= एटक*
संतोष चौरसिया
जमुना कोतमा कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल जिसे मिनी रत्न व महारत्न का दर्जा प्राप्त है लेकिन उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है ऐसा ही एक मामला जमुना कोतमा क्षेत्र के अंतर्गत संचालित भूमिगत खदान आमाडाड बरतराई कालरी का सामने आया है जहां पर की प्रकृति के विपरीत धरती का सीना चीर कर कोयला उत्पादन करने वाले श्रम वीरो के लिए संचालित कैंटीन पिछले 13 दिनों से बंद पड़ा है और श्रम वीर एक गिलास पानी के लिए परेशान है जिसे देखने और सुनने वाला कोई नहीं है
*यह है पूरा मामला*
संयुक्त कोयला मजदूर संघ एटक आमाडाड बरतराई खदान के सचिव लालमन सिंह ने उप क्षेत्रीय प्रबंधक आमा डाड बरतराई महाप्रबंधक जमुना कोतमा क्षेत्र क्षेत्रीय कार्मिक प्रबंधक जमुना कोतमा क्षेत्र को पत्र लिखकर कहा है कि बरतराई कालरी का कैंटीन पिछले 13 दिनों से बंद पड़ा है तथा खदान की उत्पादन एवं सुरक्षा के स्तर को बचाए रखने के लिए अपना खून पसीना बहा रहे श्रमिकों को चाय तक नसीब नहीं हो पा रहा है जबकि श्रम वीर अपने निवास से 20 से 30 किलोमीटर की दूरी तय कर कर यहां कोयला उत्पादन करने आते हैं ऐसी स्थिति में कैंटीन की क्या उपयोगिता है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है कुछ दिन पहले कंपनी का लाखों रुपए खर्च कर कैंटीन का मरम्मत कराया गया था संघ का कहना है कि अगर कैंटीन में ताला ही लगाना था तो श्रमिकों को उसका कोई लाभ नहीं मिलना था तो कैंटीन की मरम्मत में कंपनी का लाखों रुपए क्यों बर्बाद किया गया जो जांच का विषय है जबकि यहां पर लगभग 9 शो कर्मचारी कार्यरत हैं और विभागीय कर्मचारियों की मदद से सुव्यवस्थित ढंग से कैंटीन चलाया जा सकता है
*अधिकारियों की बल्ले-बल्ले*
पत्र में बताया गया कि जहां एक और इस क्षेत्र के ट्रांजिट हाउस में अधिकारियों के खाने-पीने नाश्ता एवं अन्य सुविधाओं का ख्याल रखने के लिए 8 से 10 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है अधिकारियों को तो सारे सुख सुविधा प्रदान हो रहे हैं परंतु श्रमिकों के कल्याण से प्रबंधन को कोई सरोकार नहीं है वह केवल उनके अधिकारो पर कुठाराघात करना जानती है
*कैंटीन शुरू नहीं हुआ तो होगा आंदोलन*
लालमन सिंह ने कहा कि संघ मांग करता है कि कैंटीन को व्यवस्थित रूप से चालू किया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण खाद्य सामग्री खदान के श्रमिकों को उपलब्ध हो जिससे कि सुरक्षा को उचित स्तर पर बनाए रखने में समर्थ रह सकें यदि 10 दिवस के अंदर कैंटीन की समस्या पर समुचित कार्यवाही नहीं की जाती है तो संघ आंदोलन कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा जिसकी समस्त जवाबदारी काली प्रबंधन की होगी