न्यायालय द्वारा सांई राम रियलटेक कंपनी के मालिक एवं डायरेक्टर की जमानत याचिका खारिज
रिपोर्टर@देवानंद विश्वकर्मा
अनूपपुर। जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ.सुभाष कुमार जैन के न्यायालय में विचाराधीन वि.प्रक्र. 03/19 थाना अनूपपुर के अ.क्र. 98/16 धारा 420, 467, 468, 471, 120वीं भादवि एवं म.प्र. निक्षेपको के हितों का संरक्षण अधिनियम 2000 धारा 6(1) के आरोपी एवं चिट फंट कंपनी सांई राम रियलटेक कम्पनी के मालिक/डायरेक्टर विनय सक्सेना की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। राज्य की ओर पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक रामनरेश गिरि द्वारा की गई। आरोपी विनय सक्सेना द्वारा अन्य सह अभियुक्त के साथ मिलकर स्वयं को साई राम रियलटेक कंपनी नोएडा का डायरेक्टर बताते हुए अनूपपुर क्षेत्र के भोले-भाले ग्रामीण लोगों को दुगुने/तिगुने ब्याज का लालच देकर कपटपूर्ण व बेईमानी करते हुए उनसे लाखों रूपये की राशि हड़प ली और उन्हें नकली पाॅलिसी,वॉन्ड, रिकॉर्ड बुक, भुगतान की रसींदें आदि फर्जी दस्तावेज दिए गए तथा बाद में कंपनी बंद कर फरार हो गया। पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के मार्गदर्शन में कोतवाली थाना प्रभारी निरीक्षक प्रफुल्लराय के नेतृत्व में उप. नि. अभयराज सिंह द्वारा बड़ी तत्परता से आरोपी की पतासाजी एवं साक्ष्यों का सं करते हुए उसे थाना सिककंदराबाद जिला आगरा के अप.क्र.1274/17 धारा 420,406,120बी,34 भादवि फ 66डी आईटी एक्ट व 3,4,5,6 चिट फंड एवं धन परिचालन स्कीम पावबन्दी अधिनियम के अपराध में क (उ.प्र.) जेल में निरूद्ध होना पाया गया। प्रकरण में उप.नि. अभयराज सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। न्यायालय को पूर्व में अग्रिम जमानत का आवेदन दिया गया था जिसमें उसके द्वारा गलत पतो एवं- तथ्यों का सहारा लेकर पुलिस एवं न्यायालय को गुमराह किया गया। विनय सक्सेना द्वार अनूपपुर क्षेत्र से 41,95090 (इक्तालीस लाख पंचानवे हजार नब्बे रूपये) की राशि का निवेश अपनी कंपनी में कराकर कंपनी बंदकर दी गई तथा बाद में पुलिस को गुमराह करते हुए एक और कंपनी पेवे आईटी सेल्यूशन कंपनी गाजियाबाद गुरूगा्रम एवं आगरा में खोलकर पुनः ऐसे गंभीर अपराध को कारित किया गया। यहाँ उल्लेखनीय तथ्य यह है कि आरोपी द्वारा न्यायालय में 5 न्यायदृष्टांतों का सहारा लेते हुए जमानत की मांग की गई थी लेकिन जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरि द्वारा उक्त न्याय दृष्टांतो के कटाक्ष में मात्र 1 न्याय दृष्टांत प्रस्तुत यिका गया था जिससे पूर्ण रूप से सहमत होकर न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।