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संतोष चौरसिया

*भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं में शामिल प्राचार्य के विरुद्ध की गयी शिकायत : जांचकर उचित कार्यवाही की उठी मांग*
संतोष चौरसिया
अनूपपुर – अनूपपुर जिले के समाजसेवी पत्रकार एवं भाजपा जिला मीडिया प्रभारी राजेश सिंह ने आयुक्त आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विभाग भोपाल, संभाग आयुक्त शहडोल,उपायुक्त शहडोल,कलेक्टर अनूपपुर एवं सहायक आयुक्त अनूपपुर को पत्र लिखकर बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय/संकुल केन्द्र राजनगर में पदस्थ प्राचार्य शिशुपाल शर्मा के द्वारा भ्रष्टाचार एवं अनियमितता किये जाने के फलस्वरूप सेवानिवृत्त के उपरांत इन्हे मिलने वाले देयको को काटकर गबन की गई राशि को समायोजित कराने एवं की गई लापरवाही,भ्रष्टाचार के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराये जाने की मांग की है। प्राचार्य के द्वारा अपने सेवाकाल के दौरान और सेवाकाल के अंतिम वर्षों में जमकर अनियमितताएं बरती गई है और भ्रष्टाचार किया गया है ,प्राचार्य के द्वारा अपने सेवाकाल के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, लापरवाही एवं तानाशाही बरती गई है, ये इसी माह जून 2020 में सेवानिवृत्त भी हो रहे है, सेवानिवृत्त के पूर्व की गयी शिकायत को गंभीरता पूर्वक लेते हुए इसकी जाँच कराकर अग्रिम एवं उचित कार्यवाही किये जाने की मांग शिकायतकर्ता ने की है।इनके द्वारा सेवाकाल के दौरान भ्रष्टाचार, लापरवाही एवं तानाशाही जो बरती गई है उसकी कुछ वानिकी इस प्रकार है । *निवास कोल इंडिया के मकान में और हाउस रेंट शासन से* एसईसीएल उपक्रम के द्वारा राजनगर क्षेत्र के शांतिनगर में इनको प्रदाय मकान संख्या एम.क्यू./62 और फिर बाद में मकान नं. बी/1 आफिसर्स कॉलोनी राजनगर कॉलरी में वर्तमान समय में ये निवास कर रहे है, लगभग 30 वर्षो से ये एसईसीएल द्वारा प्रदाय मकान में ही ये रह रहे,फिर भी इनके द्वारा लगातार हाउस रेंट शासन से लिया गया है, जो सेवाकाल के दौरान लाखों रूपये की राशि हो जाती है। एसईसीएल द्वारा प्रदाय मकान में रहकर शासन के द्वारा मिलने वाली हाउस रेंट को लिया जाना,धोखाधड़ी के श्रेणी में आता है।
*चुनाव ड्यूटी के लिए विकलांग और भ्रष्टाचार के लिए फिट दोहरा मापदंड क्यों?* समय-समय पर होने वाले विभिन्न चुनावो मे इनके द्वारा कार्य नहीं किया जाता है तब इनके द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारी को हवाला दिया जाता है कि मैं 75 प्रतिशत विकलांग होने की वजह से चुनाव कार्यो को ढंग से सम्पन्न करने में असमर्थ हूँ ये ऐसा व्यक्त कर चुनाव कार्यो से दूर रहते है,विकलांग होने की वजह से इनके द्वारा प्रोफेशनल टैक्स भी जमा नहीं किया जाता है, यहां पर एक बड़ा सवाल यह उठता है कि जब विकलांग प्राचार्य चुनाव कार्यो में सहयोग नहीं कर सकते तो प्राचार्य के पद पर किसके सह पर वर्षो से पदस्थ हैं और कैसे अनिवार्य रूप से प्राचार्य विद्यालय में दो विषय छात्रो को नियमित रूप से पढ़ाते होगें? पढ़ाने के नाम पर मात्र खानापूर्ति कर ये अपने कुर्सी पर लगातार काबिज हैै।
*प्राचार्य को हटाने के लिए जनपद सीईओ ने की थी वरिष्ठ अधिकारियों से अनुशंसा* मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत अनूपपुर के द्वारा दिनांक 25.02.2016 को सहायक आयुक्त आदिवासी विकास अनूपपुर को प्राचार्य को हटाये जाने की कार्यवाही किये जाने बावत् पत्राचार किया था, यह प्रस्ताव जनपद सभा अनूपपुर के सामान्य प्रशासन विभाग/सामान्य सभा में पारित किया गया था। *कोरोना काल में गलत तरीके से शिक्षकों का रोका गया वेतन*- प्राचार्य के द्वारा 25 मई 2020 को विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी अनूपपुर को पत्र लिखकरराजनगर संकुल के 7 शिक्षको का मई माह का वेतन रोकने बावत् पत्राचार किया गया, फलस्वरूप इन 7 शिक्षको को मई माह का वेतनआज दिनांक तक नहीं दिया गया है। वैश्विक महामारी कोरोना संकट काल में प्रधानमंत्री के आहवान के बावजूद गलत तरीके से तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए इन 7 शिक्षको को वेतन प्रदाय न किया जाना इनकी हिटलरशाही और तानाशाही की ओर इंगित करता है, इन शिक्षको का वेतन रोका जाना किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नहीं है। *प्राचार्य की मूल पदस्थापना कहीं और और फर्जी तरीके से वेतन कहीं और से*- इनकी मूल पदस्थापना 2012-13 से 2019 तक शहडोल जिले के उ.मा.वि. हर्राटोला में था फिर इनका स्थानांतरण शा.उ.मा.विद्यालय राजनगर कॉलरी किया गया। मूल पदस्थापना हर्राटोला होने के बावजूद ये पूरे समय राजनगर शा.उ.मा.विद्यालय में संलग्र थे तो ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे है। जैसे-इतने लंबे समय के लिए इनका संलग्रीकरण कैसे किया गया? क्या इस दौरान ये अपना बिल स्वयं प्रस्तुत कर स्वयं पास किये? प्राचार्य राजनगर कॉलरी का विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी अनूपपुर से भुगतान कैसे और किस आधार पर हो रहा था? इन्हे अपने स्वयं के वेतन भुगतान के लिए डीडीओ पॉवर किसने दिया? इनके संलग्रीकरण के दौरान 2013 से 2020 तक मजदूरी, अतिथि मानदेय, छात्रावास के भुगतान,एवं विद्यालय के लिए विभिन्न मदों में की गई खरीदी में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई है।
*आखिर शिक्षकों की गोपनीय चरित्रावली एवं सेवा पुस्तिका कौन भरता होगा?*– प्राचार्य 75 प्रतिशत विकलांग होने की वजह से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका कैसे लिखते होगें? मतलब साफ है कि सेवा पुस्तिका कोई और लिखता है,प्राचार्य के द्वारा मात्र हस्ताक्षर किया जाता है। ऐसे गोपनीय चरित्रावली का किसी अन्य से भरवाया जाना कहा तक न्यायसंगत है इनके कार्यकाल में गलत तरीके से सेवा पुस्तिका भी भरी गई है, जिससे आने वाले समय में कई शिक्षिको का बिना किसी गलती किये भी नुकसान हो सकता है, जबकि इन शिक्षको का कोई दोष नहीं है, ये सभी शिक्षक प्राचार्य के दुर्भावना पूर्ण तरीके के शिकार एवं ग्रसित ही कहे जाएंगे।
*फर्जी प्रमाण पत्रों का सहारा लेकर मिली पदोन्नति*–चर्चा यह भी है कि इनके द्वारा सेवाकाल में भर्ती के दौरान और पदोन्नति के दौरान फर्जी दस्तावेजो का उपयोग किया गया है, इन दस्तावेजो की जाँच कराकर, दस्तावेज फर्जी पाये जाने पर अपराधिक मामला पंजीबद्ध कराया जाने की मांग भी शिकायतकर्ता ने की है। *दर्ज थी एफ.आई.आर. और साहब लगातार रहें कुर्सी पर काबिज –* इनके विरूद्ध रामनगर थाने में आईपीसी की धारा 341,294,323,34 के तहत् अपराध दर्ज किया गया था, उस दौरान भी ये अपने पद और कुर्सी पर लगातार पदस्थ थे, मुकदमा कायम होने के बावजूद पद पर पदस्थ रहकर अपने प्रभाव से मामले को न्यायालय के माध्यम से समझौता करा करके निपटाया गया। सवाल यह उठता है कि अपराध पंजीबद्ध होने की तिथि और समझौता होने की तिथि में लगभग 5 वर्ष का समय लगा इस दौरान आखिर ये किसकी सह पर कुर्सी पर काबिज थे? इनके कार्याकाल के दौरान किये गये सभी भ्रष्टाचार की जाँच कराया जाना आवश्यक है। *पहले महीनों तक वेतन रोका अब चढ़ोत्तरी लेकर कर रहें भुगतान* -संकुल केंद्र राजनगर में पदस्थ सहायक शिक्षक अनीता मिंज, संजू तिग्गा, सुसाधन तिर्की एवं स्वर्ण शशि टोप्पो इन चारो प्राथमिक शिक्षको का सितम्बर और अक्टूबर 2019 (दो माह) का वेतन तब से अब तक प्राचार्य के द्वारा रोका गया था अब प्राचार्य के द्वारा चढ़ोत्तरी लेकर इन शिक्षको का वेतन भुगतान किया जा रहा है,ऐसे में सवाल यह उठता है कि अभी तक इनका वेतन क्यों रोका गया था? और अब जब प्राचार्य सेवानिवृत्त हो रहे है तो जाते-जाते भ्रष्टाचार की गंगा में डुबकी लगाने के लिए वेतन के नाम पर हजारों की उगाही इन शिक्षको से की गई है,क्योकि इन शिक्षको का उपस्थिति पत्रके की वजह से इनका वेतन रोका गया था, वही उपस्थिति पत्रक आज भी उपलब्ध नहीं है, तो फिर भुगतान कैसे किया जा रहा है? प्राचार्य के द्वारा बड़े पैमाने पर किये गये भ्रष्टाचार, लापरवाही, तानाशाही एवं अन्य अनियमितताओं की जाँच कराये जाने की मांग शिकायतकर्ता ने उच्च अधिकारियों से की है, जाँच उपरांत भ्रष्टाचार साबित होने पर आईपीसी की धाराओं के तहत् अपराध पंजीबद्ध कराया जाने एवं जब तक जाँच कार्यवाही का निष्पादन न हो जाये तब तक सेवानिवृत्त के उपरांत इन्हे मिलने वाला रकम एवं सुविधाएं जीआईएस, अवकाश नगदीकरण, ग्रेज्युटी,जीपीएफ एवं पेंशन पर रोक लगाये जाने की मांग शिकायतकर्ता ने की है

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