आमाड़ांड खुली खदान प्रबंधन हुआ “अंधेर नगरी चौपट राजा”
आमाड़ांड खुली खदान प्रबंधन हुआ “अंधेर नगरी चौपट राजा”
प्रबंधन की सह पर खदान कर्मी ड्यूटी से रहते नदारद
संतोष चौरसिया
ज़मुना कोतमा क्षेत्र का जीवन रेखा मानी जाने वाली आमाड़ांड ओसीएम खदान अवगति की ओर अग्रसर है l तभी प्रबंधन के उदासीन एवं लापरवाह कार्यशैली के कारण खदान कोयला उत्पादन की लक्ष्य प्राप्ति नहीं कर पाता है l इसके पीछे मुख्य कारण यह है की खदान के आधा सैकड़ा खदान कर्मी प्रतिदिन प्रबंधन की सह पर हाजिरी लगाकर अपने कार्य क्षेत्र और खदान से गायब रहते हैं l इनमें से कई कर्मचारी एकाध घंटा खदान में रुक कर अपने घर को आ जाते हैं और कुछ कर्मचारी खदान के आसपास के होटल दुकानों में बैठे घूमते नजर आते हैं l प्रबंधन अपनी कमजोरी को छुपाने के मजबूरी के कारण इन नेता किस्म के कर्मचारियों पर अंकुश लगाने में अक्षम है l जिससे कोयले के उत्पादन में कमी आती है और क्षेत्र तथा कंपनी को आर्थिक रूप से नुकसान होता है l साथ ही खदान में काम करने वाले श्रमिकों के मध्य भेदभाव की भावना उत्पन्न होती है l प्रबंधन के इस सौतेले व्यवहार एवं भगोडे कर्मचारियों को सह देने से अन्य श्रमिकों का मनोबल गिरता है l जिसका सीधा असर कोयला उत्पादन पर होता है l जमुना कोतमा क्षेत्र के महाप्रबंधक और कंपनी स्तर के अधिकारियों को भगोड़े किस्म के कॉलरी कर्मी पर कार्यवाही कर उनके इस आचरण पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है, क्योंकि खदान प्रबंधन का नियंत्रण इन भगोड़े कर्मचारियों पर नही होने से उत्पादन और उत्पादकता की क्षति इन्हीं भगोडे कालरी कर्मियों के कारण हो रही है