समसामयिक चिन्तन- वर्तमान संदर्भ मे स्वास्थ और शिक्षा देश की पहली प्राथमिकता
शिक्षक की कलम से

भारत में कोविड-19 का पदार्पण केरल की 20 वर्षीय मेडिकल छात्रा ऊषा राम मनोहर के केरल आगमन के साथ हुआ। 30 जनवरी 2020 को जाॅंच में कोरोना वाइरस से संक्रमित पाया गया। भारत में कोरोना का विस्तार 15 मार्च के बाद से प्रारम्भ हुआ, जबकि अन्य देशों में इससे पहले ही प्रारम्भ हो चुका था। जिसके कारण हमें कोविड-19 से कैसे बचना है? इसके लिये सोचने-समझने और कोरोना के विस्तार को रोकने के लिये योजना बनाने हेतु पर्याप्त समय मिला। भारत के यसस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के दूरदर्शिता पूर्ण लिये गए निर्णय को त्वरित गति से पहले जनता कर्फ्यू और फिर चरण बद्ध रूप से देश को लाक डाउन करना, हाटस्पाठ चिन्हित करना और पूर्ण नाकेबन्दी करना इससे कोविड-19 के तीव्र गति से होने वाले प्रसार को रोकने मे निश्चित रूप से हमें सफलता मिली।
देश में किट बनाने वाली एक भी कम्पनी नहीं थी और आज 130 कम्पनियाॅ मिलकर एक लाख से अधिक पी.पी.ई. का निर्माण प्रतिदिन कर रही है। देश में पुणे, दिल्ली, चण्डीगढ़ के वायरोलाॅजिस्टों ने सस्ते और गुणवत्ता युक्त रैपिड टेस्ट किटों का निर्माण किया। देश में मोटर कार बनाने वाली कम्पनी मारूती सुजूकी सस्ते वेंटीलेटर निर्माण के क्षेत्र में अग्रसर हुई है। देश में कोविड-19 के खिलाफ प्लाज्माथेरापी पर वेक्सीन निर्माण के लिये लगातार प्रयोग किये जा रहे हैं। इस प्रकार स्वास्थ्य अनुसन्धान के क्षेत्र में प्रतिभाशाली अनुसंधानकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों को स्वदेश में निर्मित स्वास्थय उपकरणों व औषधि निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहिये। विदेशी निर्भरता को कम करने का आज एक सुनहरा अवसर है, क्यों कि ‘‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है।’’ ऐसे में देश व राज्य सरकारों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसन्धान को बढ़ावा देना होगा जिससे लगभग डेढ़ अरब की जनसंख्या के लिये स्वास्थ्य सुविधाओं को सस्ता और सुलभ किया जा सके।
देश में पर्याप्त मेडिकल काॅलेज, नर्सिंग काॅलेज, पैथोलाॅजी लैब व फार्मेसी को बढ़ाना होगा। पहले से चल रहे मेडिकल काॅलेज व नर्सिंग काॅलेज में नवीन छात्रों के लिये सीटों को अधिकतम क्षमतानुरूप करना होगा। ई पुस्तकालय व प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण करना होगा, इसके साथ ही शिक्षण शुल्क में कमी करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
शिक्षा के क्षेत्र में निजी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में लिये जा रहे शिक्षण शुल्क पर शासकीय नियंत्रण कर शिक्षा को उद्योग बनाने से रोकना होगा, क्योंकि रोटी-कपड़ा और मकान के बाद स्वास्थय और शिक्षा देश की पहली प्राथमिकता है, जो कि दुर्भाग्य से इसे गरीब, विकासशील और कृषि प्रधान देश में बहुत महंगी है। कोविड-19 महामारी के प्रसार के कारण शिक्षा के क्षेत्र में भी राज्य सरकारे और शिक्षाविद् ऑनलाईन शिक्षा व पुस्तकें उपलब्ध करा रही हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में जिस प्रकार से कक्षा 1-12 तक के लिये ई पुस्तके अत्यंत सुविधा जनक रूप में जारी की गई है स्वागतयोग्य व अनुकरणीय है।
30 अप्रैल के एक राष्ट्रीय समाचार पत्र में पढ़ा कि एक टैंक का खर्च कम करके 440 वेंटीलेटर क्रय किये जा सकते हैं। एक जेट विमान की राशि से 3244 आई.सी.यू. बेड का निर्माण किया जा सकता है इसी प्रकार अन्य क्षेत्रों की राशि में कटौती कर स्वास्थय और शिक्षा के क्षेत्र में व्यय को बढ़ाना वर्तमान में देश की आवश्यकता है।
बेशक हम कोविड-19 महामारी की चुनौतियों से कुछ समय पश्चात् बाहर निकल जाएंगे किन्तु भविष्य में इस प्रकार के जैविक हथियारों की चुनौतियों का सामना करने के लिये हमें राष्ट्र को तैयार करना होगा। इसके लिये नगर पालिका व ग्राम पंचायत स्तर तक हास्पिटल को सर्व सुविधायुक्त बनाना होगा, यह दूरदर्शिता पूर्ण लिये गए निर्णयों से ही सम्भव हो सकेगा। तभी ‘‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया’’ की सोच चरितार्थ हो सकेगी।
चिंतक
श्रवण कुमार मानकिपुरी(प्रधानाध्यापक)