पुस्तक विक्रेताओं ने स्कूल प्रबंधकों के विरूध्द जिला कलेक्टर से किया शिकायत
पुस्तक विक्रेताओं ने स्कूल प्रबंधकों के विरूध्द जिला कलेक्टर से किया शिकायत

पुस्तक विक्रेताओं ने स्कूल प्रबंधकों के विरूध्द जिला कलेक्टर से किया शिकायत
कमलेश मिश्रा
बिजुरी– क्षेत्र में संचालित निजी स्कूल संचालकों के मनमानी पूर्ण कार्यशैली सदैव से ही अभिभावकों कि कमर तोड़ती रही है जहां ऐ स्कूल संचालक शासन प्रशासन के आदेशों को दरकिनार कर अपनी मनमानी पर अमादा हैं तो वहीं इनकी मनमानियों से अभिभावक ही नही अपितु नगर के समस्त पुस्तक विक्रेता भी खासा परेशान हैं। लिहाजा नगर के पुस्तक विक्रेता लामबंद होकर जिला कलेक्टर अनूपपुर को लिखित शिकायत कर न्याय कि गुहार तक लगा दी है। अब देखना यह होगा कि जिला के सर्वोच्च अधिकारी उन शिकायत पर कितना अमल करते हैं।
पुस्तक विक्रेताओं ने अपने शिकायत में उल्लेख किया है कि नगर में संचालित सनराईज स्कूल, नवज्योति मिशन हायर सेकेण्ड्री स्कूल, गाँधी नवोदय विद्यालय, स्वामी विवेकानन्द हाईस्कूल कपिलधारा, के.पी. काॅनवेन्ट स्कूल, एवं अन्य तमाम निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा मनमानी तरीके से किताबें बिकवाती है साथ ही किताबों के सेटों कि कीमत बढा़ दी जाती है।और किसी भी विद्यालय के अभिभावक इस सम्बंध में कहीं भी शिकायत करने से डरते हैं कि कहीं विद्यालय प्रबंधकों द्वारा उनके बच्चों का भविष्य खराब न कर दिया जाऐ। इसलिऐ किसी भी पब्लिशर कि पुस्तक मंहगे दामों में विद्यालयों के मनमानी बावजूद खरीदने को मजबूर हैं। शिकायत में उल्लेख है कि बिजुरी में संचालित सनराईज स्कूल के संचालक द्वारा शहडोल स्थित पुस्तक दुकान से साँठ-गाँठ कर हम बिजुरी के पुस्तक विक्रेताओं को वहां से पुस्तक खरीदने के लिऐ सूची उपलब्ध नही कराया जाता है ताकी कमीशनखोरी का खेल मनमुताबिक चल सके साथ ही विद्यालय संचालक द्वारा सभी व्यापारियों से सौदेबाजी कि जाती है व धमकी दी जाती है, विद्यालय प्रबंधन द्वारा हम व्यापारियों पर दबाव बनाया जाता है कि अगर आप लोग पुस्तक नही बेचेंगें तो हम किसी भी दुकान में पुस्तक रखवा कर बिक्री करवा लेंगें।
वहीं बिजुरी में संचालित नवज्योति मिशन हायरसेकेण्ड्री स्कूल संचालक द्वारा पुस्तक अपने स्कूल में ही मंगाकर हमें स्कूल से ही खरीदने के लिऐ दबाव बनाया जाता है अन्यथा बच्चों को स्कूल से ही पुस्तकें बेंच दिया जाता है। तो वहीं कपिलधारा स्थित ज्ञानविकाश मिडिल स्कूल संचालक द्वारा स्वयं ही पुस्तकें मंगाकर बच्चों को मनमाने दाम पर बेंच दिया जाता है अतः श्रीमानजी से निवेदन है कि सत्र शुरू होने के दो माह पूर्व उक्त विद्यालयों के संचालकों को विद्यालय में लगाने वाली पुस्तकों कि सूची सार्वजनिक रूप से जारी करवाया जाऐ जिससे समस्त पुस्तक विक्रेता बिना किसी के दबाव में आऐ उचित मूल्य पर पुस्तकें उपलब्ध करा सकें