अनूपपुर

आपसी तालमेल का दिख रहा अभाव ,तो क्या हवा में डंडा चलाने से चालू होगी खदान

महीनों से बंद पड़ी खुली खदान परियोजना से सरकार के राजस्व को हो रहा भारी नुकसान

अनूपपुर। कोल इंडिया की सहायक कंपनी एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र की खुली खदान आमाडांड परियोजना का उत्पादन कार्य 5 अक्टूबर 2022 से इसलिए बंद पड़ा है कि यहां पर कुछ ग्रामीण नौकरी और मुआवजे की मांग को लेकर बार-बार कार्य में अवरोध उत्पन्न कर रहे हैं, अवरोध उत्पन्न करने वालों में कुछ पात्र तो कुछ अपात्र ग्रामीण बताए जाते हैं लेकिन ऐसे लोगों पर नकेल कस पाने में जिला प्रशासन अभी तक विफल साबित होता दिखाई दे रहा है। इसके पीछे एक वजह भी बताई जा रही है कि वर्तमान समय में जिला प्रशासन के बीच खुद ही आपसी तालमेल सही तरीके से नहीं बैठ पा रहा है जिसका खामियाजा बंद खदान से लाखों रुपए के हो रहे राजस्व की हानि के रूप में सामने देखी जा सकती है । आमाडंडा खुली खदान परियोजना के बंद होने की खबर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं शहडोल संभाग के कमिश्नर के संज्ञान में है और उनके द्वारा जिला प्रशासन को खदान शीघ्र चालू करने हेतु निर्देशित भी किया गया है लेकिन खदान बंद होने के महीने भर के बाद अभी तक जिला प्रशासन एसईसीएल प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच बैठक का दौर केवल चल रहा है और खदान बंद करने में अनावश्यक व्यवधान उत्पन्न करने वाले बाहरी तत्वों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकी जिसके कारण उनके हौसले बुलंद हैं और जब एसईसीएल प्रबंधन 4 नवंबर 2022 को एक बार कोयला खदान संचालन की प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु जमीन का सीमांकन करने हेतु अपनी मशीन को भेजा तो फिर से कुछ ग्रामीण महिला पुरुषों का समूह मौके पर पहुंचकर डोजर मशीन को बंधक बनाते हुए उसकी घेराबंदी कर दी इस खबर की जानकारी एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के प्रबंधन द्वारा जब स्थानीय पुलिस प्रशासन को दी गई तो मौके पर थाना प्रभारी रामनगर ने पहुंचकर बंधक मशीन को मुक्त कराया लेकिन सवाल यह उठता है कि इस तरह से कब तक चलता रहेगा और ऐसी स्थिति में खदान का संचालन क्या संभव हो सकेगा। प्रशासनिक गलियारे से खबर यह भी आ रही है कि आमाडांड खुली खदान परियोजना को लेकर राजस्व विभाग के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के बीच सही तालमेल नहीं बैठ पा रहा है पुलिस प्रशासन खदान संचालन में व्यवधान करने वालों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर और कठोर कार्यवाही करने पर विचार कर रहा है तो वहीं राजस्व विभाग के अधिकारी खदान संचालन के व्यवधान उत्पन्न करने वालों के विरुद्ध सीमित कार्यवाही का हवाला देकर कोयले में माठा मारने का काम कर रहे हैं वही कोयला खदान के बंद होने से शासन के राजस्व के नुकसान के साथ जमुना कोतमा क्षेत्र के हजारों कर्मचारियों का भविष्य अंधकार मे दिखाई दे रहा है जमुना कोतमा क्षेत्र की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली आमाडांड खुली खदान परियोजना पर लगा ग्रहण कब तक हटेगा यह सुनिश्चित कर पाने में प्रशासन अभी तक सफल नहीं हो सका है।

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